नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025 — राजधानी दिल्ली में विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के सांसदों ने चुनाव आयोग के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया। उन्होंने संसद भवन के मकर द्वार से निर्वाचन आयोग के कार्यालय तक मार्च निकाला। विपक्ष का कहना है कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं और 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर ‘वोट चोरी’ की घटनाएं हुईं।


मार्च में कई बड़े दलों के नेता शामिल

मार्च में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, DMK, शिवसेना (UBT) और अन्य दलों के नेता शामिल थे। जैसे ही मार्च शुरू हुआ, दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए संसद मार्ग पर बैरिकेड लगाकर उसे रोकने की कोशिश की, क्योंकि इस रैली के लिए अनुमति नहीं ली गई थी।


अखिलेश यादव का बैरिकेड फांदना बना चर्चा का विषय

प्रदर्शन के दौरान सबसे अधिक सुर्खियों में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव रहे, जिन्होंने पुलिस की बैरिकेडिंग को पार करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास किया। उनका यह दृश्य कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। इसी बीच, कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को पुलिस ने रोककर हिरासत में लिया और उन्हें पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने ले जाया गया।


हंगामे के बीच महुआ मोइत्रा बेहोश

मार्च के दौरान हंगामा, नारेबाजी और धक्का-मुक्की के दृश्य देखने को मिले। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गईं। मौके पर मौजूद नेताओं ने उन्हें पानी पिलाकर संभाला।


राहुल गांधी का बयान – ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ की लड़ाई

राहुल गांधी ने इस विरोध को “एक व्यक्ति, एक वोट” की लड़ाई बताया और कहा कि मतदाता सूची से छेड़छाड़ लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वहीं, बीजेपी ने इस प्रदर्शन को राजनीति से प्रेरित बताया और चुनाव आयोग ने कहा कि वे सभी आरोपों की जांच के लिए तैयार हैं, बशर्ते विपक्ष ठोस सबूत पेश करे।


FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. यह विरोध मार्च क्यों हुआ?
यह मार्च बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) में कथित गड़बड़ियों और 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘वोट चोरी’ के आरोपों के विरोध में आयोजित किया गया था।

2. इसमें कौन-कौन से नेता शामिल थे?
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, शरद पवार, महुआ मोइत्रा और कई विपक्षी सांसद इसमें शामिल थे।

3. पुलिस ने मार्च को क्यों रोका?
दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इसे रोका गया।

4. अखिलेश यादव ने बैरिकेड क्यों फांदा?
अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज दबाने का कोई अधिकार सरकार को नहीं है। बैरिकेड फांदना उनके विरोध का प्रतीक था।

5. क्या किसी को हिरासत में लिया गया?
हाँ, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कई सांसदों को हिरासत में लेकर बाद में रिहा किया गया।

6. क्या किसी को चोट लगी?
हंगामे के दौरान महुआ मोइत्रा की तबीयत बिगड़ी और वे बेहोश हो गईं, लेकिन उन्हें तुरंत संभाल लिया गया।

7. इस विरोध का मुख्य संदेश क्या था?
विपक्ष ने संदेश दिया कि मतदाता सूची से छेड़छाड़ लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और चुनाव आयोग को निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए।

8. बीजेपी और सरकार का रुख क्या रहा?
बीजेपी ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि चुनाव आयोग ने कहा कि ठोस सबूत मिलने पर कार्रवाई होगी।