बिहार के धार्मिक स्थल: आध्यात्म और शांति का संगम
पटना, 9 जुलाई, 2025: बिहार, जिसे प्राचीन काल में मगध के नाम से जाना जाता था, सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और ऐतिहासिक धरोहर का एक जीता-जागता प्रमाण है। यह वह भूमि है जहाँ कई धर्मों की जड़ें गहरी जमी हैं, जहाँ से अहिंसा और शांति का संदेश पूरी दुनिया में फैला। यहाँ के धार्मिक स्थल केवल ईंट-पत्थर की संरचनाएँ नहीं, बल्कि सदियों की आस्था, त्याग और ज्ञान के प्रतीक हैं।
बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल: बुद्ध की ज्ञान भूमि
बिहार को बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल माना जाता है, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई।
बोधगया: यह निस्संदेह बिहार का सबसे पवित्र और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहीं पर महाबोधि वृक्ष के नीचे राजकुमार सिद्धार्थ को ‘बुद्धत्व’ प्राप्त हुआ और वे भगवान बुद्ध कहलाए। महाबोधि मंदिर, एक यूनेनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी भव्यता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ दुनियाभर से बौद्ध तीर्थयात्री ध्यान और शांति के लिए आते हैं।
राजगीर: यह प्राचीन मगध साम्राज्य की राजधानी थी, जहाँ भगवान बुद्ध ने कई वर्षावास किए और अपने उपदेश दिए। गृद्धकूट पर्वत (गिद्धों का पहाड़) वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे। वेणुवन (बाँसों का जंगल) भी यहीं स्थित है, जिसे बौद्ध संघ को दान किया गया पहला विहार माना जाता है।
वैशाली: यह वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपनी अंतिम वर्षावास बिताई थी और जहाँ उन्होंने अपने ‘परिनिर्वाण’ की घोषणा की थी। यहीं पर भगवान बुद्ध के अवशेषों पर एक स्तूप का निर्माण किया गया था। यह दुनिया का पहला गणतंत्र भी था।
नालंदा: प्राचीन काल में यह शिक्षा का एक विश्व प्रसिद्ध केंद्र था, जहाँ दुनियाभर से छात्र ज्ञान प्राप्त करने आते थे। यद्यपि अब यह खंडहर में है, यहाँ के अवशेष आज भी बौद्ध शिक्षा और संस्कृति की भव्यता की कहानी कहते हैं।

