प्रशांत किशोर की “अदृश्य” नेटवर्थ: एक रणनीतिकार से राजनेता बने पीके की वित्तीय पहेली
पटना, [आज की तारीख – जैसे 8 जुलाई, 2025]: चुनावी रणनीतिकार से बिहार में ‘जन सुराज’ आंदोलन के प्रणेता बने प्रशांत किशोर (पीके) की कुल संपत्ति (नेटवर्थ) अक्सर अटकलों और चर्चा का विषय रही है। उनकी आय के ज्ञात स्रोत और उनके सार्वजनिक जीवन के बीच एक वित्तीय पहेली सी बनी हुई है, जिसे सुलझाना आसान नहीं है। आपकी वेबसाइट के लिए इस पर एक अनूठी रिपोर्ट यहाँ प्रस्तुत है।
“100 करोड़ की फीस” का दावा: पीके का चौंकाने वाला खुलासा
प्रशांत किशोर ने स्वयं कई मौकों पर अपनी आय को लेकर बड़े दावे किए हैं, जो अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में वह किसी राजनीतिक दल या नेता को सलाह देने के लिए “कम से कम 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की फीस” लेते थे। उनका दावा है कि उन्होंने देश के 10 से अधिक राज्यों में सरकारें बनवाने में मदद की है। इस हिसाब से उनकी कुल कमाई अरबों में हो सकती है, लेकिन इसका कोई सार्वजनिक या सत्यापित ‘नेटवर्थ’ आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
पीके ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी यह कमाई “सरस्वती की देन” है, यानी उनकी बौद्धिक क्षमता और रणनीति से उपजी है। वे दावा करते हैं कि उन्होंने कभी सरकारी सेवा या ठेकेदारी नहीं की और उनकी पूरी आय उनकी पेशेवर सेवाओं का परिणाम है।
“जन सुराज” के लिए “चंदे” की नई रणनीति: 200 करोड़ का लक्ष्य
वर्तमान में, जब पीके ने खुद को चुनावी रणनीति से अलग कर ‘जन सुराज’ अभियान के लिए पूरी तरह समर्पित कर दिया है, तो उनकी आय का स्रोत बदल गया है। उन्होंने ‘जन सुराज’ के लिए विकेंद्रीकृत चंदा (Decentralized Donations) प्रणाली के माध्यम से कम से कम 200 करोड़ रुपए जुटाने का भरोसा जताया है। उनका कहना है कि यह अभियान छोटे-छोटे दानदाताओं के 100-100 रुपए के सहयोग से चलेगा, जो भविष्य में एक बड़ा कोष बनाएगा। यह एक अनूठा मॉडल है जो पारंपरिक राजनीतिक फंडिंग से अलग होने का दावा करता है।
“वैराग्य” और “वैनिटी वैन”: विरोधाभासों से घिरा जीवन
एक तरफ प्रशांत किशोर “जन सुराज” के माध्यम से बिहार में पदयात्रा कर आम लोगों से जुड़ने और ‘जनता के पैसे’ से अभियान चलाने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी आलीशान 4 करोड़ रुपये की वैनिटी वैन भी चर्चा का विषय रही है। यह विरोधाभास अक्सर उनकी वित्तीय स्थिति और सार्वजनिक छवि को लेकर सवाल खड़े करता है। आलोचक इस वैनिटी वैन को उनके “त्याग” और “वैराग्य” के दावों के विपरीत मानते हैं। हालांकि, पीके का तर्क है कि यह वैनिटी वैन उनके सतत यात्रा और अभियान के लिए एक आवश्यक सुविधा है।
‘नेटवर्थ’ की पहेली: क्यों नहीं है कोई स्पष्ट आंकड़ा?
प्रशांत किशोर की वास्तविक “नेटवर्थ” का कोई सार्वजनिक या आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा है (जहां उम्मीदवारों को अपनी संपत्ति घोषित करनी होती है) और न ही उनका कोई सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध व्यवसाय है। उनकी कमाई एक “सलाहकार” के रूप में थी, जिसकी फीस निजी और गोपनीय होती है।
हालांकि कुछ रिपोर्टों में पुराने हलफनामों का उल्लेख मिलता है (जैसे 2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव लड़ने वाले ‘प्रशांत कुमार’ नाम के किसी अन्य उम्मीदवार का MyNeta पर उपलब्ध हलफनामा, जिसका अक्सर भ्रमवश प्रशांत किशोर से संबंध जोड़ दिया जाता है), लेकिन ये वास्तविक प्रशांत किशोर (चुनावी रणनीतिकार) के नहीं हैं। इसलिए, उनकी वास्तविक संपत्ति का अनुमान उनके स्वयं के दावों और उनके जीवनशैली के आधार पर ही लगाया जा सकता है।

