परिचय
मुंबई का प्रसिद्ध दादर कबूतरखाना—जहां परंपरागत रूप से कबूतरों को दाना खिलाया जाता रहा है—अब विवाद के कारण सुर्खियों में है। बॉम्बे उच्च न्यायालय की रोक के बाद बीएमसी ने इसे बंद करने का प्रयास किया, लेकिन जैन समुदाय में भारी रोष फैला हुआ है। वरिष्ठ जैन साधु मुनि निलेशचंद्र विजय ने 13 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन की चेतावनी दी है और कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो हम अपनी धार्मिक भावनाओं की रक्षा में हथियार भी उठा सकते हैं।

पृष्ठभूमि — क्या हुआ था?

  • न्यायिक आदेश: बंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी को निर्देश दिया कि कबूतरखाना बंद किया जाए और उल्लंघन करने वालों पर एफआईआर दर्ज की जाए, साथ ही फीडिंग करने वालों को दंडित किया जाए।
  • बीएमसी की कार्रवाई: बीएमसी ने दादर कबूतरखाना पर तिरपाल चढ़ाया, सुरक्षा बढ़ाई, एफआईआर दर्ज की और जुर्माना लगाया—₹32,000 का कुल जुर्माना विभिन्न वार्डों में विभाजित रूप में लगाया गया।

संघर्ष और प्रतिक्रिया

  • जैन समुदाय की प्रतिक्रिया: मुनि निलेशचंद्र विजय ने कहा, “हम सत्याग्रह और अनशन का मार्ग अपनाएँगे… अगर जरूरत पड़ी तो धर्म की रक्षा के लिए हथियार भी उठाएंगे। धर्म के खिलाफ किसी भी आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे।” उन्होंने दावा किया कि 10 लाख से अधिक जैन देशभर से इस आंदोलन में हिस्सा लेंगे।
  • स्थानीय संघर्ष: 6 अगस्त को जैन समुदाय के लोगों ने बीएमसी द्वारा लगाए गए तिरपाल को हटाया और कबूतरखाना खोल दिया—इस दौरान पुलिस से झड़पें भी हुईं।
  • राजनीतिक बयान: मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने आंदोलनकारियों की कार्रवाई को गलत बताया, कानून अपनाने की अपील की, और कहा कि भविष्य में नियंत्रित कबूतरफीडिंग ज़ोन जैसे विकल्प बनाए जा सकते हैं (उदाहरण: SGNP या अन्य दूरस्थ स्थल)। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी नियंत्रित फीडिंग की बात कही ताकि परंपरा और स्वास्थ्य दोनों का सम्मान हो सके।

स्वास्थ्य चिंताएँ व सार्वजनिक हित
बीएमसी और न्यायालय का तर्क यह है कि कबूतरों की बढ़ती जनसंख्या और उनके मल के कारण आसपास के इलाके में साँस संबंधी बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है। अत: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए—इस तरह, यह कदम मानव जीवन की रक्षा हेतु है।

समाधान की संभावनाएं

  • नियंत्रित फीडिंग ज़ोन: दूरस्थ स्थानों (जैसे SGNP) पर कबूतरों के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाए जा सकते हैं, जहाँ स्वास्थ्य जोखिम न्यूनतम रहे और धार्मिक परंपरा का सम्मान भी हो।
  • स्वच्छता और निगरानी: नियमित सफाई, डॉक्टरों द्वारा निगरानी, और सीमित समय पर फीडिंग इस विवाद का समाधान हो सकता है।
  • डायलॉग और विशेषज्ञ समिति: उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि विशेषज्ञों की समिति फैसले में शामिल हो और स्वास्थ्य व सांस्कृतिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन बनाए।

निष्कर्ष
यह विवाद सिर्फ धार्मिक परंपरा बनाम स्वास्थ्य सुरक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह एक आधुनिक शहरी परिसर में सांस्कृतिक सहिष्णुता और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच की कसौटी है। चाहे अनशन, आंदोलन या संवाद — सभी की दिशा यह सूचित करती है कि समाधान संवाद, संयम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण में छुपा है।

Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1: कबूतरखाना क्यों विवादित हो गया है?
A: स्वास्थ्य जोखिमों (बर्ड ड्रॉपिंग से फैलने वाली बीमारियाँ) के चलते अदालत और बीएमसी ने इसे बंद करने का आदेश दिया; इससे जैन समुदाय की धार्मिक भावनाएँ ठेस पहुँचीं।

Q2: जैन साधु का बयान क्या था और उसने कैसे तनाव बढ़ाया?
A: मुनि निलेशचंद्र विजय ने 13 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन की चेतावनी दी और कहा कि धार्मिक आत्मा की रक्षा के लिए वे हथियार भी उठा सकते हैं, जिसने तनाव बढ़ा दिया।

Q3: सरकारी समाधान क्या दिशा में सोच रहा है?
A: सरकार नियंत्रित फीडिंग ज़ोन और नॉन-पब्लिक स्थानों (जैसे SGNP) पर फीडिंग की योजना पर विचार कर रही है ताकि पारंपरिक भावना और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों का ध्यान रखा जा सके।

Q4: उच्च न्यायालय ने क्या कहा था?
A: हाई कोर्ट ने बीएमसी के निर्णय को रद्द नहीं किया, बल्कि आदेश को चुनौती देने की बजाय विशेषज्ञ समितियों से सलाह लेने को कहा और मानव जीवन को सर्वोपरि बताया।