Canada के प्रधानमंत्री Justin Trudeau ने सत्ताधारी Liberal Party के नेता पद और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. हालांकि, लिबरल पार्टी के नए नेता चुने जाने तक Trudeau प्रधानमंत्री बने रहेंगे.

जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि वो लिबरल पार्टी के नेता के पद से हट रहे हैं। जब पार्टी का नया नेता चुन लिया जाएगा, तो वो प्रधानमंत्री पद से भी इस्तीफा दे देंगे।

सोमवार सुबह (स्थानीय समय के अनुसार) एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिन ट्रूडो ने इस्तीफे का ऐलान किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के तौर पर हर दिन देश की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात थी। हमने महामारी के दौरान लोगों की मदद की, लोकतंत्र को मजबूत किया और कारोबार को बेहतर बनाने के लिए काम किया। आप सब जानते हैं, मैं कभी हार नहीं मानता।”

जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “जब मैं 2015 में प्रधानमंत्री बना, तब से मैं कनाडा और इसके लोगों के लिए काम कर रहा हूं। मैंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि मध्य वर्ग और मजबूत हो। महामारी के दौरान मैंने देखा कि कैसे देश के लोग एक-दूसरे का साथ दे रहे थे।”

ट्रूडो कहा, “24 मार्च तक संसद स्थगित रहेगी। मैं चाहता हूं कि अगले चुनाव में देश के पास एक बेहतर विकल्प हो। अगर मैं खुद ही अपनी आंतरिक उलझनों में फंसा रहूंगा, तो लोगों के लिए सबसे अच्छा नेता नहीं बन पाऊंगा।”

ट्रूडो ने इस दौरान अपनी बतौर प्रधानमंत्री की गई उपलब्धियों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, “जब मैंने 2015 में पद संभाला था, तब के मुकाबले अब कनाडा की हालत बेहतर है।”

कौन लेगा जस्टिन ट्रूडो की जगह

Justin Trudeau के लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा देने के ऐलान के बाद अब सब इस पर चर्चा कर रहे हैं कि पार्टी का अगला नेता कौन बनेगा।

टोरंटो की सांसद और पूर्व उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड अगली नेता बनने की रेस में सबसे आगे हैं। इसके अलावा, पूर्व सेंट्रल बैंक के प्रमुख मार्क कार्नी का नाम भी चर्चा में है। ट्रूडो ने खुद माना था कि वो कार्नी को अपनी टीम में लाना चाहते थे।

इस लिस्ट में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर अनिता आनंद का नाम भी शामिल है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलनी जोली का नाम भी रेस में है।

ट्रूडो की नीतियां भारत को नहीं आई पसंद

पिछले कुछ अरसे से भारत और कनाडा के रिश्तों में कड़वाहट आ चुकी है. कनाडा में खलिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के सुबूत हैं.

भारत ने इस आरोप से इनकार किया था. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंध बद से बदतर होते चले गए.

दोनों देशों ने एक दूसरे के डिप्लोमैट्स को भी देश छोड़ने को कहा था. मौजूदा वक़्त में दोनों देशों के बीच संबंध अपने सबसे ख़राब दौर से गुज़र रहे हैं.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top