रिपोर्ट: Khabri Dakiya | 1 अगस्त 2025 | Siwan, Bihar
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान शहीद हुए आम नागरिकों के 22 अनाथ बच्चों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गोद लेने का फैसला लिया है। उन्होंने इन बच्चों की शिक्षा और भविष्य की जिम्मेदारी स्वयं उठाने का ऐलान किया है।
यह पहल सिर्फ एक राजनीतिक कदम नहीं बल्कि एक मानवीय करुणा और ज़मीन से जुड़ा साहसिक निर्णय है, जो आने वाले समय में कई अनाथ बच्चों के जीवन को नई दिशा देगा।
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा मई 2025 में चलाया गया एक विशेष आतंकवाद विरोधी अभियान था। यह ऑपरेशन मुख्यतः जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादियों के खिलाफ चलाया गया। इस दौरान सीमा पार से गोलाबारी और रॉकेट हमले हुए, जिसमें 13 आम नागरिक मारे गए। इन हमलों में कई बच्चों ने अपने माता-पिता या कमाने वाले परिवार के सदस्य को खो दिया।
राहुल गांधी की पहल – ‘मोहब्बत की दुकान’ का एक नया अध्याय
राहुल गांधी ने 22 ऐसे बच्चों की पहचान करवाई जो इस हिंसा के कारण अनाथ हो गए। उन्होंने ऐलान किया कि:
- इन सभी बच्चों को गोद लिया जाएगा
- राहुल गांधी ने यह जिम्मेदारी ली है कि बच्चों की शिक्षा से जुड़ा हर खर्च – चाहे वह स्कूल की पढ़ाई हो, कॉलेज की डिग्री या फिर कोई व्यावसायिक कोर्स – वे स्वयं वहन करेंगे।
- पहली आर्थिक सहायता जुलाई 2025 के अंतिम सप्ताह में दी गई
- इस मदद का क्रियान्वयन कांग्रेस पार्टी के सोशल विंग और यूथ कांग्रेस के माध्यम से किया जा रहा है।
इस फैसले की प्रक्रिया कैसे हुई?
- सबसे पहले स्थानीय कार्यकर्ताओं और अधिकारियों ने अनाथ बच्चों की सूची तैयार की
- फिर प्रत्येक बच्चे के केस को सत्यापित किया गया
- राहुल गांधी के कार्यालय ने उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों की रिपोर्ट मंगवाई
- एक ट्रस्ट के तहत इन बच्चों के खर्चों को जारी रखने की योजना बनाई गई है
बच्चों के लिए क्या होगा?
| सुविधा | विवरण |
|---|---|
| शिक्षा | ग्रेजुएशन तक की पूरी पढ़ाई फ्री |
| स्वास्थ्य | जरूरत पड़ने पर मेडिकल सहायता |
| पोषण | जरूरत के अनुसार खाद्य पैकेट/सपोर्ट |
| करियर | स्किल ट्रेनिंग या प्रोफेशनल कोर्स का खर्च भी शामिल |
राजनीतिक प्रतिक्रिया
जहाँ एक ओर कांग्रेस समर्थक इसे “मोहब्बत की दुकान” का नया उदाहरण बता रहे हैं, वहीं कुछ विपक्षी दलों ने इसे “राजनीतिक स्टंट” कहा है।
हालांकि, अधिकतर लोगों का मानना है कि इस तरह की जमीनी मदद का स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे राजनीति से परे मानवीय दृष्टिकोण झलकता है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
शबाना बेगम, जिनके भाई की मौत पाकिस्तानी गोलाबारी में हुई:
“हमारे बच्चों के लिए ये किसी मसीहा से कम नहीं है।”
हसीन अहमद, स्थानीय शिक्षक:
“अगर हर नेता ऐसा सोचे, तो देश में कोई बच्चा अनाथ होकर शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा।”
राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने अपने एक सार्वजनिक बयान में कहा:
“ये बच्चे सिर्फ एक राज्य या सीमा के नहीं हैं, ये इस देश के भविष्य हैं। जब एक बच्चे का सपना टूटता है, तो देश का सपना भी कमज़ोर होता है। मैं सिर्फ उन्हें नहीं, उनके सपनों को गोद ले रहा हूं।”
निष्कर्ष
राहुल गांधी की यह पहल सिर्फ एक राजनीतिक उदाहरण नहीं, बल्कि देश में दया, करुणा और जिम्मेदारी का संदेश है।
ऑपरेशन सिंदूर के दर्द को ‘शिक्षा और आशा’ में बदलना शायद आज की राजनीति की सबसे खूबसूरत मिसालों में से एक है।
FAQ – सवाल-जवाब
Q1. ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
यह भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में चलाया गया एक ऑपरेशन था, जिसमें कई आम नागरिक मारे गए।
Q2. कितने बच्चों को गोद लिया गया है?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने माता-पिता को खोने वाले 22 बच्चों की देखरेख अब राहुल गांधी करेंगे।
Q3. क्या ये बच्चे किसी धर्म या राज्य विशेष से हैं?
नहीं, सभी बच्चे कश्मीर के पुंछ इलाके से हैं और धर्म, जाति से ऊपर उठकर चयन हुआ है।
Q4. राहुल गांधी कितने समय तक खर्च उठाएंगे?
उन्होंने ग्रेजुएशन या प्रोफेशनल कोर्स तक का पूरा खर्च उठाने का संकल्प लिया है।
Q5. क्या सरकार की भी कोई मदद मिल रही है?
फिलहाल यह पहल व्यक्तिगत है, लेकिन सरकार से समन्वय किया जा रहा है।
Q6. क्या दूसरे नेता भी ऐसा कुछ कर रहे हैं?
हालांकि अब तक किसी और ने इस तरह की पहल की जानकारी नहीं दी है, लेकिन यह कदम अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

