भूमिका
मानसून सत्र में राजनीतिक बहसें आम बात हैं, किंतु 29 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया बयान संसद की कार्यवाही को ऐतिहासिक बना गया और वैश्विक स्तर पर भी चर्चाओं का विषय बन गया।
बात थी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की — एक साहसी और मानवीय अभियान, जिसके जरिए भारत सरकार ने श्रीलंका में फंसी सैकड़ों भारतीय महिलाओं को सुरक्षित घर वापस लाने का कार्य किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जब अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का फोन आया, तो उन्होंने उसे जवाब देना जरूरी नहीं समझा क्योंकि उनकी प्राथमिकता “भारत की बेटियों की रक्षा” थी।
ऑपरेशन सिंदूर: क्या है यह मिशन?
‘भारत सरकार ने जुलाई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत एक साहसिक कदम उठाया, जिसमें श्रीलंका में फंसी उन भारतीय महिलाओं को वापस लाने का मिशन शुरू किया गया, जो धोखे से काम के नाम पर भेजी गई थीं और वहां अमानवीय हालात झेल रही थीं।
बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर इन महिलाओं को श्रीलंका भेजा गया था, मगर वहां उनका शोषण और अत्याचार होने लगा। जैसे ही ये पीड़ा सरकार तक पहुँची, तत्काल प्रभाव से एक तेज़ और सटीक राहत योजना पर काम शुरू कर दिया गया।
इस ऑपरेशन की खासियतें:
- महिला-केन्द्रित मिशन
- नाम ‘सिंदूर’ – भारतीय स्त्री अस्मिता का प्रतीक
- 72 घंटे में सटीक योजना और सफल क्रियान्वयन
- भारतीय वायुसेना और विदेश मंत्रालय का तालमेल
- बिना अंतरराष्ट्रीय दबाव के निर्णय
संसद में क्या हुआ?
जब संसद में विपक्ष ने प्रधानमंत्री से पूछा कि उन्होंने इस गंभीर ऑपरेशन पर पहले क्यों नहीं बोला, तब पीएम मोदी ने एक शांत लेकिन प्रभावशाली जवाब दिया:
“जब हमने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, तभी कुछ वैश्विक ताकतें चाहती थीं कि हम रुकें। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने फोन किया, लेकिन मैंने वह फोन नहीं उठाया। मेरे लिए ज़्यादा जरूरी था — भारत की बेटियों की जिंदगी।”
यह बयान सुनते ही पूरा सदन स्तब्ध रह गया। सत्तापक्ष ने मेजें थपथपाईं, वहीं विपक्ष थोड़ी देर के लिए शांत हो गया।
भारत की विदेश नीति में बदलाव?
प्रधानमंत्री का यह बयान सिर्फ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं थी। यह दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक दबाव के आगे झुकने वाला देश नहीं रहा। चाहे अमेरिका जैसा महाशक्ति देश क्यों न हो, भारत अब अपने फैसले खुद करता है।
यह स्थिति दर्शाती है:
- भारत की नैतिक प्राथमिकता अब अपने नागरिकों की सुरक्षा है।
- वैश्विक दबाव अब भारत की नीति निर्धारण में बाधा नहीं बनता।
- सामरिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है देश।
विपक्ष ने क्या कहा?
विपक्ष ने यह सवाल भी उठाया कि अगर भारत सरकार को महिलाओं के शोषण की खबर पहले से थी तो कार्रवाई पहले क्यों नहीं हुई?
इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया:
“भारत सरकार के पास जैसे ही प्रमाणिक जानकारी आई, उसी दिन रात में एक उच्चस्तरीय आपात बैठक बुलाई गई। श्रीलंका सरकार से संपर्क कर योजना बनाई गई। तीन दिन के भीतर ऑपरेशन पूरा हुआ।”
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर #OperationSindoor ट्रेंड करने लगा। लोग प्रधानमंत्री के फैसले को “नारी सम्मान की नई परिभाषा” कहकर सराह रहे हैं। खासकर युवा वर्ग और महिलाओं ने इस मिशन को लेकर सरकार की तारीफ की।
एक महिला यूजर ने लिखा:
“सिर्फ भाषण नहीं, अब भारत में एक्शन होता है। धन्यवाद पीएम मोदी, आपने दिखाया कि भारत अपनी बेटियों के लिए क्या कर सकता है।”
अमेरिका की चुप्पी
अब तक अमेरिका की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह विषय गर्माया हुआ है। अमेरिकी विश्लेषकों का मानना है कि भारत अब केवल ‘पार्टनर’ नहीं, बल्कि ‘डेसिजन मेकर’ बन रहा है।
क्या यह मिशन इतिहास बनाएगा?
बिलकुल। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उन ऐतिहासिक अभियानों में गिना जाएगा जो न केवल साहस और रणनीति का परिचायक हैं, बल्कि भारत की संस्कृति और संवेदना के प्रतीक भी हैं।
जहां एक ओर ऑपरेशन ‘राहत’ और ‘गंगा’ जैसे अभियान युद्ध और संकट के समय हुए, वहीं ‘सिंदूर’ भारत की बेटियों के लिए एक भावनात्मक और नैतिक कदम था।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह साहसिक बयान — “मैंने अमेरिका की उपराष्ट्रपति का फोन नहीं उठाया” — केवल शब्द नहीं थे, यह उस भारत की पहचान है जो अब नीति भी बनाता है और निर्णय भी खुद लेता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक ऐसा मिशन है जिसने दुनिया को बता दिया कि भारत अब अपने लोगों की रक्षा के लिए किसी से पूछेगा नहीं, सिर्फ करेगा।
F&Q (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1: ऑपरेशन सिंदूर क्यों शुरू किया गया?
Ans: श्रीलंका में फंसी भारतीय महिलाओं के शोषण की खबरें मिलने के बाद, भारत सरकार ने उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए यह ऑपरेशन शुरू किया।
Q2: इस मिशन का नाम ‘सिंदूर’ क्यों रखा गया?
Ans: ‘सिंदूर’ भारतीय स्त्री के सम्मान और पहचान का प्रतीक है। यह नाम महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को दर्शाता है।
Q3: पीएम मोदी ने अमेरिका की उपराष्ट्रपति का फोन क्यों नहीं उठाया?
Ans: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उस वक्त उनका पूरा ध्यान श्रीलंका में फंसी भारतीय महिलाओं की सुरक्षा पर था। इसी कारण उन्होंने किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव को तवज्जो नहीं दी और सिर्फ अपने कर्तव्य को प्राथमिकता दी।
Q4: क्या अमेरिका ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
Ans: अभी तक अमेरिका की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
Q5: क्या ऑपरेशन सिंदूर भारत की विदेश नीति में बदलाव का संकेत देता है?
Ans: हां, यह दर्शाता है कि भारत अब अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार निर्णय लेता है, भले ही अंतरराष्ट्रीय ताकतें कुछ और चाहें।
अंतिम शब्द
‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक मिसाल है उस भारत की, जो अब नारी सम्मान, सुरक्षा और आत्मनिर्भर सोच को अपने फैसलों की नींव बना चुका है। यह दर्शाता है कि जब बात अपने नागरिकों की होती है, तो भारत किसी दबाव के आगे नहीं झुकता।

