नागपंचमी क्यों मनाई जाती है? जानिए इसका महत्व, कथा और परंपराएं प्रस्तावना
नागपंचमी क्यों मनाई जाती है? जानिए इसका महत्व, कथा और परंपराएं
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भारत एक धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं से भरा देश है, जहाँ हर त्योहार का अपना विशेष महत्व और गहरी मान्यताएं हैं। ऐसा ही एक पावन पर्व है नागपंचमी, जिसे श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें दूध अर्पित किया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, कर्नाटक और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।
नागपंचमी क्या है?
नागपंचमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो नाग देवताओं को समर्पित होता है। इस दिन लोग नागों को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते हैं, उन्हें दूध चढ़ाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से सर्पदंश (साँप के काटने) का भय नहीं रहता और जीवन में समृद्धि आती है।
नागपंचमी का पौराणिक महत्व
नागपंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख है महाभारत की कथा। जब पांडवों के वंशज जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए नागों का सर्वनाश करने हेतु सर्प यज्ञ शुरू किया था, तब आस्तिक ऋषि ने यह यज्ञ रुकवाया था। आस्तिक की प्रार्थना से प्रसन्न होकर नागों का विनाश रुक गया और उसी दिन से नागपंचमी मनाई जाने लगी।
एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने विषपान किया था। उनके गले में सर्प विराजमान रहते हैं, इसलिए नागों को शिव का रूप माना गया और नागपंचमी का दिन सर्पों को सम्मान देने का पर्व बन गया।
नागपंचमी की परंपराएं और पूजा विधि
तिथि और समय:
यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ता है।
नाग पूजा विधि:
इस दिन घर की दीवारों पर गेरू से नाग का चित्र बनाया जाता है या मिट्टी से नाग की मूर्ति बनाई जाती है।
फिर दूध, चावल, पुष्प, कुश, धूप-दीप आदि से पूजा की जाती है।
कहीं-कहीं जीवित नाग को दूध चढ़ाने की परंपरा भी है।
स्त्रियाँ व्रत रखती हैं और सर्प देवताओं से परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं।
सांस्कृतिक आयोजन:
कई जगहों पर मेले और झाँकियाँ आयोजित की जाती हैं।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में नाग देवता के मंदिरों में विशेष पूजा होती है।
नागपंचमी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
नागपंचमी वर्षा ऋतु में आती है जब सांप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं। यह समय उनके लिए भी खतरनाक होता है क्योंकि पानी भर जाने से वे सुरक्षित स्थान की तलाश में इंसानों के पास आ सकते हैं। नागपंचमी जैसे पर्व लोगों को यह सिखाते हैं कि सर्पों का संरक्षण जरूरी है और उन्हें मारने के बजाय पूज्य दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश
नागपंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सह-अस्तित्व की भावना सिखाता है। सांप जैसे खतरनाक जीव भी इस ब्रह्मांड का हिस्सा हैं और उनका सम्मान करके हम प्रकृति के संतुलन को बनाए रखते हैं।
FAQs – नागपंचमी से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. नागपंचमी कब मनाई जाती है?
नागपंचमी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त में होती है।
Q2. नागपंचमी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
नाग देवताओं की पूजा कर उनसे जीवन की रक्षा और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करना।
Q3. क्या जीवित सांप को दूध पिलाना सही है?
नहीं, यह परंपरा अंधविश्वास पर आधारित है। वैज्ञानिक दृष्टि से सांप दूध नहीं पीते। प्रतीकात्मक रूप से नाग देवता की मूर्ति को दूध अर्पित किया जाता है।
Q4. क्या नागपंचमी पर व्रत रखा जाता है?
हां, विशेषकर महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और अपने परिवार की रक्षा और सुख की कामना करती हैं।
Q5. नागपंचमी किन राज्यों में प्रमुख रूप से मनाई जाती है?
यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
निष्कर्ष:
नागपंचमी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी और श्रद्धा का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हर जीव का इस धरती पर एक विशेष स्थान है और हमें सबके साथ मिलकर इस संसार में सामंजस्य बनाना चाहिए।

