हेना शहाब कौन हैं? जानिए सिवान की चर्चित महिला राजनेता के बारे में सब कुछ

भूमिका:

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बिहार की राजनीति में जब भी सिवान का ज़िक्र होता है, तो दो नाम प्रमुखता से सामने आते हैं — मोहम्मद शहाबुद्दीन और उनकी पत्नी हेना शहाब। जहाँ शहाबुद्दीन को एक प्रभावशाली और विवादित नेता के रूप में जाना जाता था, वहीं हेना शहाब ने उनके बाद राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की।

हेना शहाब का प्रारंभिक जीवन:

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हेना शहाब का जन्म बिहार के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक साधारण लेकिन शिक्षित माहौल में हुआ। उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और पेशे से एक प्रशिक्षित नर्स रही हैं। उनके जीवन में बड़ा मोड़ तब आया जब उनकी शादी सिवान के ताकतवर नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन से हुई।

विवाह के बाद हेना शहाब पारिवारिक जिम्मेदारियों में रची-बसी रहीं, लेकिन पति की राजनीतिक सक्रियता और कानूनी मामलों के चलते वे धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन और राजनीति की ओर आकर्षित हुईं।

मोहम्मद शहाबुद्दीन से संबंध:

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मोहम्मद शहाबुद्दीन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बड़े नेताओं में गिने जाते थे। वे चार बार सिवान से सांसद रहे और उनके नाम पर सिवान में एक दबदबा बना हुआ था। लेकिन समय के साथ-साथ वे कई आपराधिक मामलों में फंसे और लंबे समय तक जेल में रहे। 2021 में तिहाड़ जेल में उनकी मृत्यु हो गई।

शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी और गैरहाजिरी ने राजनीतिक खालीपन पैदा किया, जिसे भरने के लिए हेना शहाब ने खुद को सामने रखा।

राजनीति में प्रवेश:

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हेना शहाब ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश 2009 के लोकसभा चुनाव से किया। उन्होंने अपने पति के गढ़, सिवान से आरजेडी की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।भले ही वे चुनाव नहीं जीत पाईं, लेकिन उन्होंने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से सभी का ध्यान खींचा।

इसके बाद उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। बावजूद इसके, सिवान की जनता—विशेषकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों—के बीच उनकी लोकप्रियता बनी रही।

राजनीतिक छवि और व्यक्तित्व:

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हेना शहाब को एक शांत, सौम्य और सभ्य नेता के रूप में देखा जाता है। वह भीड़ भरी रैलियों से ज्यादा सीधे लोगों से संवाद करना पसंद करती हैं। वे शिक्षित महिला हैं और नर्सिंग बैकग्राउंड के कारण स्वास्थ्य और महिलाओं के मुद्दों को लेकर सजग रहती हैं।

उनकी सादगी, पर्दानशीनी और पारिवारिक छवि ने उन्हें मुस्लिम महिलाओं के बीच खासा समर्थन दिलाया है। वे अपने पति की विरासत को संभालते हुए जनता से जुड़ी रहने की कोशिश करती हैं।

विवाद और आलोचनाएँ:

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हालांकि हेना शहाब खुद किसी आपराधिक मामले में शामिल नहीं रही हैं, लेकिन उनके पति की छवि ने कई बार उनकी राजनीतिक यात्रा को प्रभावित किया है। विरोधी दल उन्हें “शहाबुद्दीन की विरासत संभालने वाली नेता” के रूप में दर्शाते हैं, जबकि उनके समर्थक उन्हें “संघर्षशील महिला” और “जनता की बहन-बेटी” कहते हैं।

उनकी आलोचना यह कहकर की जाती है कि वे अपने पति की लोकप्रियता का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करती हैं, लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने खुद भी एक राजनीतिक चेहरा बनने की मेहनत की है।

सामाजिक कार्य:

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हेना शहाब चुनावों के अलावा सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रही हैं। वे महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक अधिकारों को लेकर सिवान में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रही हैं। गरीब और जरूरतमंदों के लिए मेडिकल कैंप, कपड़ा वितरण और हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम चलाना उनके सामाजिक एजेंडे का हिस्सा है।

चुनावी प्रदर्शन:

वर्ष चुनाव पार्टी परिणाम
2009 लोकसभा RJD हार
2014 लोकसभा RJD हार
2019 लोकसभा RJD हार

भले ही वे तीनों चुनावों में पराजित रहीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पार्टी ने भी लगातार उन्हें समर्थन देकर यह साबित किया है कि नेतृत्व को उन पर भरोसा है।

परिवार और निजी जीवन:

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हेना शहाब का परिवार सिवान में ही रहता है। वे तीन बच्चों की माँ हैं। अपने पति के जेल में रहने के दौरान उन्होंने परिवार और सामाजिक जीवन की जिम्मेदारी अकेले निभाई। उनके बेटे ओसामा शहाब भी अब धीरे-धीरे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर दिखने लगे हैं, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि अगली पीढ़ी भी राजनीति में आ सकती है।

भविष्य की संभावनाएं:

हेना शहाब की लोकप्रियता अभी भी सिवान में बनी हुई है। आने वाले चुनावों में अगर आरजेडी उन्हें दोबारा टिकट देती है और परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, तो वे एक बार फिर मजबूत दावेदारी पेश कर सकती हैं। खासकर महिला वोटरों और मुस्लिम मतदाताओं में उनकी पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

निष्कर्ष:

हेना शहाब एक ऐसी महिला नेता हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारी। अपने पति की अनुपस्थिति में उन्होंने राजनीतिक सफर शुरू किया और अब तक डटी हुई हैं। भले ही वे चुनाव ना जीत पाई हों, लेकिन जनता के बीच उनकी पहचान बनी है। वे महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं कि कैसे एक घरेलू महिला भी राजनीति के मंच पर अपनी जगह बना सकती है।