9 जुलाई को बिहार बंद: मतदाता सूची विवाद से गरमाई सियासत, आम जनजीवन पर संभावित असर
बिहार में कल, 9 जुलाई, 2025 को विपक्षी महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, वाम दल और अन्य) ने राज्यव्यापी ‘चक्का जाम’ और ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया है। इस बंद का मुख्य मुद्दा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया है, जिसे विपक्षी दल “गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश” करार दे रहे हैं।
महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने घोषणा की है कि इस चक्का जाम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग, भाजपा के इशारे पर यह असंवैधानिक फरमान जारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव से पहले लोकतंत्र को कमजोर करना है। वहीं, चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को एक नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया बता रहा है।
बंद का कारण: मतदाता सूची पुनरीक्षण पर गंभीर आरोप
विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में मनरेगा कार्ड, आधार कार्ड और राशन कार्ड को शामिल न करना संदिग्ध है। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया के तहत लाखों प्रवासी बिहारी मजदूरों के नाम मतदाता सूची से काटे जा सकते हैं, जिससे एनडीए को फायदा होगा। उनका यह भी कहना है कि आयोग ने इतनी बड़ी प्रक्रिया को कम समय में पूरा करने की बात कही है, जो व्यवहारिक नहीं है।
जनजीवन पर संभावित प्रभाव: क्या खुला रहेगा, क्या बंद?
9 जुलाई को होने वाले इस बंद से परिवहन, रेलवे सेवा और बाजारों पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है।
सार्वजनिक परिवहन: बसें, ऑटो और अन्य सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रह सकते हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
बाजार और दुकानें: अधिकांश बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रह सकते हैं।
शैक्षणिक संस्थान: कई स्कूल और कॉलेज बंद रहने की संभावना है। अभिभावकों को बच्चों की छुट्टी के संबंध में स्कूलों से पुष्टि करने की सलाह दी जाती है।
बैंक और बीमा कार्यालय: इन क्षेत्रों में भी कामकाज बाधित हो सकता है, क्योंकि 10 बड़े ट्रेड यूनियनों ने भी देशभर में हड़ताल का आह्वान किया है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।
सरकारी कार्यालय और आपातकालीन सेवाएं: सरकारी कार्यालय खुले रहने की संभावना है, और अस्पताल, एम्बुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह चालू रहेंगी। इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क भी अप्रभावित रहेंगे।
सियासत गरमाई: आरोप-प्रत्यारोप का दौर
इस बंद को लेकर बिहार की सियासत गरमा गई है। भाजपा सांसद रवि शंकर प्रसाद ने इस चक्का जाम को विपक्ष का अधिकार बताया है, लेकिन साथ ही कहा है कि इससे तनाव बढ़ता है और बिहार को शांति की जरूरत है। उनका मानना है कि आगामी चुनाव में “दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।”
वहीं, आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा है कि 9 जुलाई का भारत बंद पहले से घोषित था, लेकिन अब इसमें लोगों को मताधिकार से बेदखल करने का एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी जुड़ गया है। उनका कहना है कि ये लोग गरीब, पिछड़े, दलित और मुसलमान हैं, जिनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
आगे क्या?
यह देखना दिलचस्प होगा कि 9 जुलाई का बिहार बंद कितना सफल होता है और इसका राज्य की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है। महागठबंधन ने इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति सुप्रीम कोर्ट में भी दर्ज कराई है, जिसकी सुनवाई 10 जुलाई को होनी है। ऐसे में, यह बंद केवल एक दिन का विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़े राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत हो सकता है।

