रूस और तालिबान: मान्यता की ओर एक नया भू-राजनीतिक कदम?
हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि रूस, अफगानिस्तान में सत्ताधारी तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यदि ऐसा होता है, तो यह एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक बदलाव होगा, जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
बदलते समीकरण
पिछले कुछ समय से रूस और तालिबान के बीच संपर्क लगातार बढ़ रहे हैं। रूसी अधिकारियों ने तालिबान प्रतिनिधियों से कई बार मुलाकातें की हैं, जिनमें सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर चर्चा हुई है। रूस ने संकेत दिया है कि अगर तालिबान अपने वादों को पूरा करता है, जैसे कि एक समावेशी सरकार का गठन और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान, तो वे उनके साथ काम करने को तैयार हैं।
रूस के रणनीतिक हित
रूस के इस संभावित कदम के पीछे कई रणनीतिक कारण हो सकते हैं:
क्षेत्रीय स्थिरता: रूस अफगानिस्तान में आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी के प्रसार को लेकर चिंतित है, जो मध्य एशियाई पड़ोसी देशों को प्रभावित कर सकता है। तालिबान के साथ सीधा संबंध स्थापित करके, रूस इन खतरों को नियंत्रित करने में मदद की उम्मीद कर रहा है।
चीन के साथ समन्वय: चीन भी अफगानिस्तान में सक्रिय रूप से शामिल है और उसने तालिबान के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है। रूस और चीन के बीच अफगानिस्तान पर एक समान दृष्टिकोण क्षेत्रीय स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
पश्चिमी देशों के खिलाफ: तालिबान को रूस द्वारा मान्यता देना पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका के लिए एक राजनीतिक संदेश हो सकता है, जो अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता देने से हिचक रहे हैं।
आर्थिक अवसर: अफगानिस्तान में खनिज संसाधनों का विशाल भंडार है। संभावित मान्यता रूस के लिए अफगानिस्तान में नए आर्थिक अवसर पैदा कर सकती है।
तालिबान के लिए मान्यता का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करना तालिबान के लिए एक प्रमुख लक्ष्य है। मान्यता से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और संगठनों से सहायता मिल सकती है, जो अफगानिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करेगी। इससे उनकी वैधता भी बढ़ेगी।
चुनौतियाँ और संभावित परिणाम
हालांकि, इस कदम में कई चुनौतियाँ भी हैं। तालिबान पर अभी भी मानवाधिकारों के उल्लंघन और महिलाओं के अधिकारों के दमन के आरोप लगते रहे हैं। यदि रूस उन्हें मान्यता देता है, तो उसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। इससे अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर भी सवाल उठ सकते हैं।
आगे क्या?
अभी तक, रूस ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन उनके बीच संपर्क लगातार बढ़ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या रूस इस दिशा में आगे बढ़ता है और मान्यता देने का फैसला करता है। यदि ऐसा होता है, तो इसके एशिया और वैश्विक राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।

