बिहार की राजनीति में पटना जिला एक अहम भूमिका निभाता है। यह न केवल राज्य की राजधानी है बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी सबसे प्रभावशाली जिलों में से एक है। यहाँ से निकलने वाले नेता अक्सर राज्य की नीतियों और सरकार के गठन में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि पटना जिले में कितनी विधानसभा सीटें हैं, उनका इतिहास क्या है, और वर्तमान में इन सीटों का क्या महत्व है।


पटना जिले में कुल विधानसभा सीटें

पटना जिले में वर्तमान में 14 विधानसभा सीटें हैं।
ये सभी सीटें बिहार विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं और पटना जिले के ग्रामीण व शहरी दोनों हिस्सों को कवर करती हैं।

पटना जिले की विधानसभा सीटों की सूची:

  1. मोकामा
  2. बाढ़
  3. बख्तियारपुर
  4. फतुहा
  5. दीघा
  6. बांकीपुर
  7. कुम्हरार
  8. पटना साहिब
  9. फुलवारी (SC)
  10. मसौढ़ी (SC)
  11. पालीगंज
  12. मनेर
  13. बिक्रम
  14. दानापुर

इनमें से फुलवारी और मसौढ़ी सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं।


शहरी और ग्रामीण सीटों का मिश्रण

पटना जिले की विधानसभा सीटों में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र शामिल हैं —

  • शहरी सीटें: बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, दीघा
  • ग्रामीण सीटें: फतुहा, बख्तियारपुर, पालीगंज, मनेर, बिक्रम आदि

यह संतुलन सुनिश्चित करता है कि शहरी विकास और ग्रामीण समस्याओं दोनों का प्रतिनिधित्व विधान सभा में हो सके।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

स्वतंत्रता के बाद बिहार में विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के आधार पर किया गया था।
जैसे-जैसे पटना शहर का विस्तार हुआ, वैसे-वैसे इसके निर्वाचन क्षेत्रों में भी बदलाव किए गए।

सीमांकन आयोग (Delimitation Commission) की भूमिका

  • वर्ष 2008 में Delimitation Commission ने बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों की सीमाएँ पुनर्निर्धारित कीं।
  • इसी प्रक्रिया में पटना जिले की वर्तमान 14 सीटों की रूपरेखा तय की गई।
  • कई पुरानी सीटों के नाम बदले गए — जैसे “पटना सेंट्रल” सीट को अब कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र कहा जाता है।
  • पटना साहिब सीट 2008 के बाद बनाई गई, जो आज राजधानी का एक प्रमुख हिस्सा है।

प्रमुख विधानसभा सीटें और उनका महत्व

1. पटना साहिब

राजधानी की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में से एक।
यहां से कई बार राज्य के बड़े नेता चुनाव लड़ चुके हैं।
इस क्षेत्र में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं पर चुनाव केंद्रित रहते हैं।

2. कुम्हरार

पहले “पटना सेंट्रल” नाम से जानी जाती थी।
यह सीट पटना के बीचोंबीच है और शहरी विकास इसका मुख्य चुनावी मुद्दा है।

3. दीघा

नई और तेजी से विकसित होती शहरी सीट है।
यहां मध्यम वर्ग और युवा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

4. फुलवारी (SC)

यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां सामाजिक समानता व ग्रामीण विकास मुख्य विषय रहते हैं।

5. पालीगंज और मनेर

ये क्षेत्र ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले हैं।
कृषि, सिंचाई, सड़क और शिक्षा इन इलाकों की प्रमुख चुनावी मांगें हैं।


जनसंख्या और मतदान संरचना

  • प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 2.5 से 3 लाख तक मतदाता पंजीकृत हैं।
  • शहर की सीटों पर मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत कम होता है जबकि ग्रामीण सीटों पर 70% तक वोटिंग होती है।
  • पटना जिला में कुल मिलाकर लगभग 35 लाख से अधिक मतदाता हैं।

राजनीतिक परिदृश्य

पटना की अधिकांश सीटों पर राष्ट्रीय दलों (जैसे RJD, JDU, BJP, Congress) का प्रभाव रहा है।

  • बांकीपुर सीट पर लगातार बीजेपी का मजबूत प्रदर्शन रहा है।
  • पटना साहिब में भी बीजेपी और जेडीयू के बीच मुकाबला देखने को मिलता है।
  • ग्रामीण इलाकों में राजद (RJD) और जेडीयू (JDU) का अच्छा जनाधार है।

विधानसभा सीमाओं का विकास और बदलाव

2008 के बाद से अब तक जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण के चलते कुछ सीटों की सीमाएँ फिर से चर्चा में हैं।
आगामी वर्षों में नई जनगणना के आधार पर फिर से Delimitation (सीमांकन) की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जिसमें पटना जिले की सीटों में बदलाव संभव है।


विकास और चुनौतियाँ

  1. शहरी विकास की चुनौती – तेज़ी से बढ़ते शहर में सड़क, ट्रैफिक और कचरा प्रबंधन बड़ी समस्या है।
  2. ग्रामीण अवसंरचना – गाँवों में अब भी जल, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है।
  3. शिक्षा और रोजगार – युवाओं की संख्या अधिक है लेकिन रोजगार के अवसर सीमित हैं।
  4. राजनीतिक प्रतिस्पर्धा – सभी दल इस जिले को ‘राजनीतिक केंद्र’ मानते हैं, इसलिए हर चुनाव में पटना चर्चा में रहता है।

निष्कर्ष

पटना जिले की 14 विधानसभा सीटें न सिर्फ स्थानीय मुद्दों को बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा तय करती हैं।
यहाँ के चुनावों में जनता का मूड पूरे राज्य की राजनीतिक लहर को प्रभावित करता है।
इतिहास, विकास, और जनसंख्या परिवर्तन के साथ पटना की विधानसभा सीटें लगातार बदलती रही हैं —
और यही बदलाव इसे बिहार की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमि बनाता है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. पटना जिले में कुल कितनी विधानसभा सीटें हैं?
उत्तर: पटना जिले में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।

प्रश्न 2. कौन-कौन सी सीटें आरक्षित हैं?
उत्तर: फुलवारी और मसौढ़ी सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं।

प्रश्न 3. पटना साहिब विधानसभा सीट कब बनी थी?
उत्तर: पटना साहिब सीट 2008 के सीमांकन (Delimitation) के बाद बनाई गई थी।

प्रश्न 4. पटना की सबसे चर्चित विधानसभा सीट कौन सी है?
उत्तर: पटना साहिब और बांकीपुर सीटें सबसे चर्चित और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं।

प्रश्न 5. क्या आने वाले समय में सीटों में बदलाव संभव है?
उत्तर: हां, भविष्य में जनगणना और सीमांकन प्रक्रिया के आधार पर सीटों की सीमाएँ बदली जा सकती हैं।