अनिल अग्रवाल की नेट वर्थ: बिहार के सपूत की कहानी, जो प्रेरणा बन गई एक मिसाल
पटना से लंदन तक का सफर: कैसे अनिल अग्रवाल ने रचा खरबों का साम्राज्य
आज जब हम देश के सबसे सफल उद्योगपतियों की बात करते हैं, तो वेदांता रिसोर्सेज के संस्थापक और अध्यक्ष, अनिल अग्रवाल का नाम प्रमुखता से आता है। बिहार के पटना की गलियों से निकलकर लंदन तक अपनी पहचान बनाने वाले अनिल अग्रवाल की नेट वर्थ केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह अथक परिश्रम, दूरदर्शिता और कभी न हार मानने वाली ज़िद की कहानी है।
ताज़ा अपडेट्स: कितनी है अनिल अग्रवाल की नेट वर्थ?
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, अनिल अग्रवाल और उनके परिवार की कुल संपत्ति लगभग $4.4 बिलियन (लगभग ₹35,000 से ₹36,000 करोड़) आंकी गई है। यह आंकड़ा उन्हें भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार करता है और उनकी लगातार बढ़ती व्यावसायिक क्षमताओं का प्रमाण है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनकी नेट वर्थ समय के साथ बाजार की स्थितियों और उनके व्यावसायिक निर्णयों के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है।
नेट वर्थ से बढ़कर: एक प्रेरणादायक यात्रा
अनिल अग्रवाल की नेट वर्थ के पीछे एक ऐसी कहानी है जो किसी भी युवा उद्यमी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। एक साधारण मारवाड़ी परिवार में जन्मे अनिल अग्रवाल ने कभी कोई औपचारिक उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं की। उन्होंने स्क्रैप मेटल ट्रेडिंग के छोटे से व्यवसाय से शुरुआत की और धीरे-धीरे अपने सपनों को पंख दिए।
उन्होंने 1976 में वेदांता लिमिटेड की नींव रखी, जो आज खनन, धातु, तेल और गैस जैसे क्षेत्रों में एक वैश्विक दिग्गज है। उनकी यात्रा कई उतार-चढ़ावों और चुनौतियों से भरी रही, जिसमें कथित तौर पर 9 व्यावसायिक विफलताएं भी शामिल हैं। लेकिन हर असफलता ने उन्हें और मजबूत बनाया।
कर्ज को कम करने की कवायद और भविष्य की योजनाएं
हाल के वर्षों में, अनिल अग्रवाल ने वेदांता समूह पर लगभग $5 बिलियन के कर्ज को कम करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, हालांकि अभी भी एक समान राशि का कर्ज समूह पर बाकी है। इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण में निवेश के लिए लंदन स्थित सेंट्रिकस फर्म के साथ साझेदारी में $10 बिलियन का फंड भी बनाया है, जो उनकी दूरदर्शी सोच को दर्शाता है।
परोपकार में भी आगे
अनिल अग्रवाल केवल संपत्ति बनाने में ही नहीं, बल्कि उसे समाज को वापस देने में भी विश्वास रखते हैं। उन्होंने अपनी लगभग 75% संपत्ति दान करने का संकल्प लिया है और 2021 में ‘गिविंग प्लेज’ पर हस्ताक्षर भी किए हैं। अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के माध्यम से, वे पोषण, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य सेवा और पशु कल्याण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव कार्यक्रम चला रहे हैं।
अनिल अग्रवाल की नेट वर्थ केवल धन का माप नहीं है, बल्कि यह बिहार के एक साधारण व्यक्ति की उस असाधारण कहानी का प्रतीक है जिसने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से अपनी किस्मत खुद लिखी। उनकी यह कहानी न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक है कि कैसे सपने देखे जाते हैं और कैसे उन्हें हकीकत में बदला जाता है।

